Hazrat Abu Bakr al-Siddiq (R.A) की फ़ज़ीलत और शान

 

हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की फ़ज़ीलत और शान

हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की फ़ज़ीलत और शान में कई सही हदीसें मिलती हैं। ये कुछ मुख़्तसर और मुसल्सल हदीसें हैं जो उनके मर्तबे और मुक़ाम को वाज़ेह करती हैं:

  1. रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमाया:

“لو كنت متخذًا من أمتي خليلًا لاتخذت أبا بكر، ولكن أخي وصاحبي.”
“अगर मैं अपनी उम्मत में किसी को ख़लील (गहरा दोस्त) बनाता, तो अबूबक्र को बनाता। लेकिन वह मेरा भाई और साथी है।”
[सहीह बुख़ारी: 3656, सहीह मुस्लिम: 2382]

  1. नबी ﷺ ने इरशाद फ़रमाया:

“ما نفعني مال أحد قط ما نفعني مال أبي بكر.”
“मुझे किसी के माल (दौलत) से उतना फ़ायदा नहीं हुआ जितना अबूबक्र के माल से हुआ।”
[सुन्नन तिर्मिज़ी: 3666 – हसन सहीह]

  1. रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“إن أمن الناس عليّ في صحبته وماله أبو بكر، ولو كنت متخذًا خليلًا غير ربي لاتخذت أبا بكر، ولكن أخوة الإسلام ومودته…”
“लोगों में जिसने मुझे अपनी सोहबत और माल से सबसे ज़्यादा फ़ायदा पहुँचाया, वह अबूबक्र हैं। अगर मैं अल्लाह के सिवा किसी को ख़लील बनाता, तो अबूबक्र को बनाता।”
[सहीह बुख़ारी: 467, सहीह मुस्लिम: 2382]

  1. अबूबक्र रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत:

“أبو بكر في الجنة…”
“अबूबक्र जन्नत में हैं…”
[सुनन तिर्मिज़ी: 3747 | मुस्नद अहमद]

ये हदीसें हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की अज़ीम शान, उनका मर्तबा और रसूलुल्लाह ﷺ से उनका क़ुर्ब वाज़ेह करती हैं। उनकी ज़िंदगी क़ुरआन और सुन्नत के साथ सबसे ज़्यादा वफ़ादारी का नमूना थी।

अहक़र: सय्यद अतीक़ुर्रहमान क़ादरी.

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