Bismihi Ta’aaLa
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प्रश्न संख्या: 002
प्रश्न:
अगर कोई शख़्स चार रकअत वाली सुन्नत या नफ़्ल नमाज़ में पहले क़ा’दा (अत्तहिय्यात के बाद) दुरूद शरीफ़ भी पढ़ ले तो क्या उस पर सज्दा-ए-सह्व वाजिब होगा?
उत्तर:
अगर नमाज़ चार रकअत वाली फ़र्ज़, वाजिब, या सुन्नत-ए-मुअक्कदा है और पहले क़ा’दे (अत्तहिय्यात के बाद) में अगर “अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मद” या इससे ज़्यादा दुरूद शरीफ़ पढ़ा गया, तो सज्दा-ए-सह्व वाजिब होगा।
लेकिन अगर नमाज़ चार रकअत वाली सुन्नत-ए-ग़ैर मुअक्कदा या नफ़्ल है, तो पहले क़ा’दे में दुरूद शरीफ़ पढ़ लेने पर भी सज्दा-ए-सह्व वाजिब नहीं होगा, चाहे पूरा दुरूद ही क्यों न पढ़ लिया जाए।
बल्कि इन दोनों नमाज़ों (सुन्नत-ए-ग़ैर मुअक्कदा और नफ़्ल) के पहले क़ा’दे में दुरूद पढ़ना मुस्तहब (पसंदीदा) है।
वल्लाहु तआला आलम (और अल्लाह ही बेहतर जानता है)।
— उम्दतुल फ़िक़्ह, खंड 2, पृष्ठ 228
सरपरस्ती में: मौलाना अहमद साहब
निरीक्षण में: मौलाना अमीन साहब
मिल्ली क्विज़ द्वारा प्रस्तुति: एम. इब्राहीम
तारीख़: 31/03/2014